Monday, 9 June 2025

 

रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल, राजनगर, मधुबनी में मनाया गया विश्व नेत्रदान दिवस


हर साल 10 जून को पूरी दुनिया में विश्व नेत्रदान दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक करना और यह समझाना है कि हम अपनी मृत्यु के बाद भी किसी की जिंदगी को रोशन कर सकते हैं।
रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल, राजनगर, मधुबनी में इस विशेष अवसर पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों को नेत्रदान की आवश्यकता और महत्ता के बारे में जानकारी दी गई। एक विशेष प्रेजेंटेशन में बताया गया कि भारत में लाखों लोग दृष्टिहीन हैं, जो किसी और के नेत्रदान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

🌟 क्या है नेत्रदान?
नेत्रदान का अर्थ है मृत्यु के बाद अपनी आंखें (कॉर्निया) दान करना ताकि किसी नेत्रहीन व्यक्ति को दुनिया देखने का अवसर मिल सके। यह एक बहुत ही सरल प्रक्रिया है, जिसमें कोई खर्च नहीं आता, और यह पूरी तरह सुरक्षित होता है।

👁️ नेत्रदान की आवश्यकता क्यों?
भारत में हर साल लगभग 1.5 लाख कॉर्निया की आवश्यकता होती है।
केवल 30-40 हजार ही उपलब्ध हो पाते हैं।
एक नेत्रदाता दो दृष्टिहीन लोगों की मदद कर सकता है।

📚 स्कूल में आयोजित गतिविधियाँ:

कक्षा 1 से 8 तक छात्रों ने नेत्रदान पर भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया।
पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में बच्चों ने सुंदर चित्रों के माध्यम से नेत्रदान का संदेश दिया।
एक छोटी डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई जिसमें नेत्रदान की प्रक्रिया और इसके फायदे को सरल भाषा में बताया गया।

🌈 संदेश:

हम सभी को यह समझना होगा कि नेत्रदान एक मानवता का सबसे उज्ज्वल कार्य है। यह केवल एक जोड़ी आंखों का दान नहीं है, बल्कि किसी के जीवन को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का माध्यम है।

"मरने के बाद कुछ ऐसा कर जाइए,
कि किसी और की आँखों से ये दुनिया देख पाएं आप!"

रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल सभी विद्यार्थियों और अभिभावकों से यह अपील करता है कि वे नेत्रदान के विषय में चर्चा करें, जानकारी लें, और यदि संभव हो तो नेत्रदान के लिए संकल्प लें।
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