Sunday 31 May 2020

चले प्रवासी शहर छोड़कर...-------------------------बहुत उड़ाई जिसने खिल्ली, रोएंगे अब मुंबई, दिल्ली।जिनके बल उद्योग खड़े थे, हरियाणा, पंजाब हरे थे।अन्न उगाए नहर खोदकर, चले प्रवासी शहर छोड़कर...भरपूर किए कर्मी का शोषण, कैसे मिलता तन को पोषण।लाभांश मांग पर उन्हें चेताया, कुछ कर्मी को छांट दिखाया।दिखा रहे थे अकड़, बोलकर..चले प्रवासी शहर छोड़कर..इनकी गर मजबूरी थी, तो तेरे लिए भी ये जरूरी थी।दोनों की ही आवश्यकता, दोनों से होती पूरी थी।पर रख न पाए इन्हें रोककर..चले प्रवासी शहर छोड़कर....लेकिन केवल इनको ही, मजबूर समझते आए थे।वेतन कम निर्धारित कर, तुम इनका हिस्सा खाए थे।सुनो, सुनो श्रुतिपटल खोलकर,चले प्रवासी शहर छोड़कर...सर पर चढ़कर नाच किये थे,दस के बदले पांच दिये थे।मूल्य माल का दस का सत्तर, खून चूसते बनकर मच्छर।वे काम करते थे कमर तोड़कर, चले प्रवासी शहर छोड़कर...कोरोना ने उन्हें चेताया, मर जाओगे भूखे भाया।जिनको तुम पर तरस न आई, दे पाएंगे क्या वो छाया।घर भागो हे सबल, दौड़कर..चले प्रवासी शहर छोड़कर....जिस गर्मी में हंसा कांपे, उसमें हजार कोस वे नापे।पैरों में पड़ ग‌ए फफोले, रोक न पाए ओले, शोले।निकल पड़े वे ताल ठोककर,चले प्रवासी शहर छोड़कर...भूख,प्यास न उन्हें डिगाया, इच्छा शक्ति जोश दिलाया।कोई रिक्शा, कोई ठेला पर,परिजन को ढो कर लाया।दिव्यज्योति से देदीप्यमान होकर..चले प्रवासी शहर छोड़कर.... प्रवासी मजदूरों को सादर समर्पित..रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल राजनगर मधुबनी।अमरेन्द्र सिंह

चले प्रवासी शहर छोड़कर...
-------------------------
बहुत उड़ाई जिसने खिल्ली, 
रोएंगे अब मुंबई, दिल्ली।
जिनके बल उद्योग खड़े थे,
 हरियाणा, पंजाब हरे थे।
अन्न उगाए नहर खोदकर, 
चले प्रवासी शहर छोड़कर...
भरपूर किए कर्मी का शोषण, 
कैसे मिलता तन को पोषण।
लाभांश मांग पर उन्हें चेताया, 
कुछ कर्मी को छांट दिखाया।
दिखा रहे थे अकड़, बोलकर..
चले प्रवासी शहर छोड़कर..
इनकी गर मजबूरी थी, 
तो तेरे लिए भी ये जरूरी थी।
दोनों की ही आवश्यकता, 
दोनों से होती पूरी थी।
पर रख न पाए इन्हें रोककर..
चले प्रवासी शहर छोड़कर....
लेकिन केवल इनको ही, 
मजबूर समझते आए थे।
वेतन कम निर्धारित कर, 
तुम इनका हिस्सा खाए थे।
सुनो, सुनो श्रुतिपटल खोलकर,
चले प्रवासी शहर छोड़कर...
सर पर चढ़कर नाच किये थे,
दस के बदले पांच दिये थे।
मूल्य माल का दस का सत्तर, 
खून चूसते बनकर मच्छर।
वे काम करते थे कमर तोड़कर, 
चले प्रवासी शहर छोड़कर...
कोरोना ने उन्हें चेताया, 
मर जाओगे भूखे भाया।
जिनको तुम पर तरस न आई, 
दे पाएंगे क्या वो छाया।
घर भागो हे सबल, दौड़कर..
चले प्रवासी शहर छोड़कर....
जिस गर्मी में हंसा कांपे, 
उसमें हजार कोस वे नापे।
पैरों में पड़ ग‌ए फफोले, 
रोक न पाए ओले, शोले।
निकल पड़े वे ताल ठोककर,
चले प्रवासी शहर छोड़कर...
भूख,प्यास न उन्हें डिगाया, 
इच्छा शक्ति जोश दिलाया।
कोई रिक्शा, कोई ठेला पर,
परिजन को ढो कर लाया।
दिव्यज्योति से देदीप्यमान होकर..
चले प्रवासी  शहर छोड़कर.... 
प्रवासी मजदूरों को सादर समर्पित..
रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल राजनगर मधुबनी।
अमरेन्द्र सिंह

Sunday 10 May 2020

हमारे आसपास की सभी अद्भुत और प्रेरणादायक महिलाओं को मातृ दिवस की शुभकामनाएँ। आपके अंतहीन समर्थन और प्यार के लिए आप सभी का धन्यवाद। रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल समुदाय से बहुत प्यार है। ये कुछ अद्भुत कार्ड हैं जिन्हें हमारे छात्रों ने बनाया है। @ रॉयल डिगी पब्लिक स्कूल सोनवारी राजनगर मधुबनी बिहार।अमरेन्द्र सिंह

हमारे आसपास की सभी अद्भुत और प्रेरणादायक महिलाओं को मातृ दिवस की शुभकामनाएँ। आपके अंतहीन समर्थन और प्यार के लिए आप सभी का धन्यवाद। रॉयल डिजी पब्लिक स्कूल समुदाय से बहुत प्यार है। ये कुछ अद्भुत कार्ड हैं जिन्हें हमारे छात्रों ने बनाया है। @ रॉयल डिगी पब्लिक स्कूल सोनवारी राजनगर मधुबनी बिहार।
अमरेन्द्र सिंह